Mahashivratri 2025: कैसे हुई रुद्राभिषेक की उत्पत्ति? भगवान शिव ने माता पार्वती को बताए इसके चमत्कारिक फायदे
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Mahashivratri 2025: कैसे हुई रुद्राभिषेक की उत्पत्ति? भगवान शिव ने माता पार्वती को बताए इसके चमत्कारिक फायदे

Secret of Rudrabhishek: वैसे तो अधिकांश लोग महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव की विशेष कृपा पाने के लिए रुद्राभिषेक करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रुद्राभिषेक की उत्पत्ति कैसे हुई. आइए जानते हैं रुद्राभिषेक की उत्पत्ति की कथा.

Mahashivratri 2025: कैसे हुई रुद्राभिषेक की उत्पत्ति? भगवान शिव ने माता पार्वती को बताए इसके चमत्कारिक फायदे

Mahashivratri 2025: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त अनुष्ठान के दौरान रुद्राभिषेक करते हैं. शास्त्रों में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि विधि-विधान से रुद्राभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. यही वजह है कि महाशिवरात्रि हो या फिर मासिक शिवरात्रि इस दौरान विधि-विधान से रुद्राभिषेक किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर रुद्राभिषेक की उत्पत्ति कैसे हुई? चलिए जानते हैं शास्त्रों में वर्णित रुद्राभिषेक की उत्पत्ति का दिलचस्प प्रसंग.

जब माता पार्वती ने पूछा रुद्राभिषेक का महत्व

एक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव सपरिवार नंदी पर सवार होकर भ्रमण कर रहे थे, तो उस दौरान माता पार्वती ने मृत्युलोक में भक्तों को रुद्राभिषेक करते देखा. उन्होंने भगवान शिव से पूछा, "मनुष्य रुद्राभिषेक क्यों करता है? इससे उसे क्या लाभ मिलता है?" भगवान शिव ने उत्तर दिया, "जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी इच्छाओं की पूर्ति चाहता है, वह विभिन्न द्रव्यों से मेरा अभिषेक करता है. विशेष रूप से, जो व्यक्ति शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक करता है, उसे मैं शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करता हूं."

कैसे हुई रुद्राभिषेक की उत्पत्ति?

रुद्राभिषेक से जुड़ी एक अन्य प्रमुख पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच यह विवाद हुआ कि दोनों में से श्रेष्ठ कौन है. इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान शिव ने अनंत ज्योतिर्लिंग का रूप धारण किया और कहा, "जो भी इस ज्योतिर्लिंग की ऊपरी या निचली सीमा पहले खोज लेगा, वही सर्वश्रेष्ठ होगा." लेकिन, भगवान विष्णु निचली सीमा की खोज में गए और असफल रहे. जबकि, भगवान ब्रह्मा ऊपरी सीमा की खोज में असफल रहे, लेकिन उन्होंने झूठ बोलने का प्रयास किया. उन्होंने केतकी के एक फूल को साक्षी बनाकर कहा कि उन्होंने ज्योतिर्लिंग की ऊपरी सीमा देख ली है. भगवान शिव इस छल को पहचान गए और क्रोधित होकर ब्रह्माजी को श्राप दिया कि "उनकी पूजा लोकों में नहीं होगी." साथ ही, केतकी के फूल को भी यह श्राप मिला कि "यह किसी भी पूजा में स्वीकार नहीं किया जाएगा." इसके बाद, भगवान शिव ने ज्योतिर्लिंग रूप में स्वयं को स्थापित किया और अपने भक्तों से कहा कि वे जल, दूध, फूल, फल और पत्तियों से उनका अभिषेक करें. कहते हैं कि तभी से रुद्राभिषेक की परंपरा का चली आ रही है. 

रुद्राभिषेक का महत्व

धर्म शास्त्रों के अनुसार, रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का आसान उपाय है. विधि-विधान से रुद्राभिषेक करने पर हर प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इसके अलावा नकारात्मक ऊर्जा का नाश और सकारात्मकता का संचार होता है. रुद्राभिषेक के परिणामस्वरूप जीवन की तमाम बाधाएं दूर होती हैं. इतना ही नहीं, रुद्राभिषेक करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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