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Powerful Rajyog: श्रीकृष्ण जितना भाग्यशाली होता है ऐसा इंसान, जिसकी कुंडली में होते हैं ये 5 योग

कुंडली में पांच ऐसे ग्रह योग होते हैं जो बेहद शुभ और प्रबल माने जाते हैं. इन योगों को पंच महापुरुष योग कहते हैं. अगर इनमें से कोई एक भी योग जातक की कुंडली में हो तो उन्हें जीवन में कभी संघर्ष नहीं करना पड़ता. पंच महापुरुष योग गुरु, मंगल, बुध, शुक्र और शनि से मिलकर बनता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति की कुंडली में पांच ऐसे ग्रह योग होते हैं, जिन्हें अत्यंत शुभ और प्रभावशाली माना जाता है. इन्हें पंच महापुरुष योग कहा जाता है. यदि इनमें से कोई एक भी योग कुंडली में विद्यमान हो, तो व्यक्ति को जीवन में संघर्ष का सामना नहीं करना पड़ता. यह योग गुरु, मंगल, बुध, शुक्र और शनि ग्रहों से मिलकर बनते हैं. आइए अब उन 5 राजयोगों के बारे में जानते हैं. 

शनि का शश योग

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शनि का शश योग

यदि शनि ग्रह कुंडली में लग्न या चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें घर में तुला या कुंभ राशि में स्थित हो, तो शश योग बनता है. इस योग के जातक न्यायप्रिय, दीर्घायु और कूटनीति में निपुण होते हैं. वे कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानते और निरंतर प्रयासरत रहते हैं. सहनशीलता उनका विशेष गुण होता है और वे अपने शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होते हैं.

शुक्र का मालव्य योग

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शुक्र का मालव्य योग

यदि शुक्र ग्रह कुंडली में लग्न या चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें घर में वृष, तुला या मीन राशि में स्थित हो, तो मालव्य योग बनता है. इस योग के जातक सौंदर्य और कला के प्रेमी होते हैं. वे काव्य, गीत, संगीत और कला के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करते हैं. इनमें साहस, पराक्रम और शारीरिक बल की अद्वितीय क्षमता होती है.

गुरु का हंस योग

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गुरु का हंस योग

अगर गुरु ग्रह धनु या मीन राशि में लग्न में या केंद्र में स्थित हो, तो हंस योग बनता है. अगर बृहस्पति लग्न या चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें घर में कर्क, धनु या मीन राशि में स्थित हो, तो यह योग विशेष रूप से प्रभावशाली होता है. इस योग के जातकों को सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है. उनकी तार्किक क्षमता इतनी प्रबल होती है कि वे अपनी बुद्धिमत्ता से दूसरों को प्रभावित कर सकते हैं.

बुध का भद्र योग

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बुध का भद्र योग

यदि बुध ग्रह कुंडली में लग्न या चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें घर में मिथुन या कन्या राशि में स्थित हो, तो भद्र योग बनता है. इस योग के जातक बुद्धिमान, चतुर और वाणी में निपुण होते हैं. वे लेखन, गणित, व्यापार और सलाहकार के क्षेत्र में अत्यंत सफल रहते हैं. उनके पास विश्लेषण की अद्भुत क्षमता होती है.

मंगल का रूचक योग

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मंगल का रूचक योग

यदि मंगल ग्रह कुंडली में लग्न या चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें घर में मेष, वृश्चिक या मकर राशि में स्थित हो, तो रूचक योग बनता है. इस योग के जातक साहसी, पराक्रमी और शारीरिक बल से संपन्न होते हैं. वे मानसिक रूप से मजबूत होते हैं और तेजी से निर्णय लेने में सक्षम होते हैं. इस योग के जातकों को प्रशासनिक और व्यावसायिक क्षेत्र में बड़ी सफलता मिलती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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