Agra: यूपी के आगरा में दयालबाग स्थित राधा स्वामी सत्संग सभा करोड़ों की जमीन पर अपना दावा कर रहा है. आरोप है कि सत्संग सभा के लोगों ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है. बीते दिनों अतिक्रमण हटाने के दौरान सत्संगियों और पुलिस के बीच झड़प हुई. बता दें कि इस सत्संग सभा की स्थापना सौ साल पहले हुई थी.
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मनीष कुमार गुप्ता/आगरा: उत्तर प्रदेश की ताजनगरी आगरा में इन दिनों जिला प्रशासन और राधा स्वामी सत्संग सभा आमने सामने हैं. दोनों की बीच अरबों रुपये की जमीन को लेकर कोहराम मचा हुआ है. सत्संग सभा पर सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप है. इतना ही नहीं जिला प्रशासन ने 23 सितंबर को जिस जमीन को सत्संग सभा के कब्जे से मुक्त कराया था, उसी भूमि पर सत्संग सभा के लोगों ने गेट लगा कर दोबारा अवैध कब्जा कर लिया. 24 सितंबर को जब जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाने पहुंचा तो जमकर विवाद हुआ. आरोप है कि सत्संगियों ने पुलिस और मीडिया कर्मियों पर हमला बोल दिया. पथराव और कील लगे हुए लाठी-डंडों से पुलिसकर्मियों पर हमला किया. इसमें करीब एक दर्जन पुलिसकर्मी और अधिकारी घायल हुए थे.
20 जनवरी 1915 को हुई थी स्थापना
इस विवाद के बाद सवाल उठना लाजिमी है कि दयालबाग स्थित राधा स्वामी सत्संग सभा आखिर करती क्या है. जानकारी के मुताबिक 20 जनवरी 1915 को राधा स्वामी सत्संग सभा की स्थापना बतौर आध्यात्मिक संस्था की गई थी. स्थापना के चंद महीने बाद 11 जून 1915 को 9 बीघा जमीन सत्संग सभा द्वारा खरीदी गई थी. इस बीच सत्संग सभा में आस पास के गांवों जैसे लाल गढ़ी, सिकंदरपुर, खासपुर, मनोहरपुर, जगनपुर, नगला तल्फी, जगन्नाथपुर, बूढ़ी का नगला से लोग आने लगे. करीब 10 किलोमीटर के दायरे में सत्संग सभा की सत्ता कायम हो गई.
इस बीच ग्रामीणों और जिला प्रशासन के साथ सत्संगियों के कई बार विवाद हुए. 20 दिसंबर 2009 में गांव सिकंदर पुर में ग्रामीणों और सत्संग सभा के बीच खूनी संघर्ष हुआ था, तब एक सत्संगी युवक की जान चली गईं थी और कई ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हुए थे. सत्संग सभा और ग्रामीणों के बीच विवादों की लंबी फेहरिस्त है. हर बार जिला प्रशासन के लचर रवैये के चलते सत्संग सभा के हौसले बुलंद होते चले गए. यही वजह रही कि महज 9 बीघा जमीन से अपना सफर तय करने वाली सत्संग सभा 1500 एकड़ जमीन पर अपना मालिकाना हक जताने लगी.
बात इतने पर भी नहीं रुकती है. आरोप है कि अगस्त महीने में सत्संग सभा ने पौईया घाट यमुना डूब क्षेत्र की जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया. विवाद की जड़ में मौजा जागनपुर के खसरा नंबर 389, 320 श्रेणी 6(2) और खासपुर मौजा के खसरा नंबर 105, 252 और 256 श्रेणी 6(2) हैं. इस पर सत्संग सभा अपना मालिकाना हक बताती है, जबकि राजस्व रिकार्ड में यह जमीन हाईवे, रास्ते और सड़क के नाम से दर्ज है.
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