UP Cabinet Decisions 2025: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट बैठक हुई. मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान खत्म होने के बाद ये बैठक की गई. इसमें आबकारी नीति को हरी झंडी देने के साथ 11 प्रस्ताव मंजूर किए गए हैं.
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UP New Excise Policy 2025-26: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को लखनऊ में कैबिनेट बैठक हुई. सीएम आवास पर कैबिनेट बैठक में वरिष्ठ मंत्री शामिल हुए. इस बैठक में आबकारी नीति समेत 11 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यूपी सरकार ने 2025-26 की आबकारी नीति को मंजूरी दी है. इससे उत्तर प्रदेश में अंग्रेजी शराब की दुकान, बीयर शॉप या अन्य वाइन शॉप का आवंटन लॉटरी सिस्टम के जरिये किया जाएगा. एक बड़ा फैसला कंपोजिट दुकानों को लेकर है, इसके तहत अंग्रेजी शराब, देसी और बीयर शॉप एक साथ एक ही शराब की दुकान से बेची जा सकेगी.
ई-लॉटरी सिस्टम से शराब की दुकानों के लाइसेंस देने के साथ लाइसेंस फीस में दस फीसदी का इजाफा किया गया है. देसी शराब की दुकान की लाइसेंस फीस 40 हजार की जगह अब 65 हजार रुपये होगी. कंपोजिट शॉप के लिए यह 55 हजार की जगह 90 हजार, मॉडल शॉप के लिए 60 हजार की जगह एक लाख और सरकारी भांग की दुकानों के लिए 25 हजार रुपये फीस ली जाएगी.
आबकारी विभाग की नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ये फैसला हुआ है. सूत्रों के अनुसार, यूपी में बजट सत्र की घोषणा भी हो गई है. बजट सत्र 18 फरवरी से शुरू होगा और 19 फरवरी को योगी आदित्यनाथ सरकार अपना बजट पेश करेगी.
एक ही दुकान से बेच सकेंगे हर तरह की शराब
सूत्रों के अनुसार, कंपोजिट पॉलिसी के तहत, अब यूपी में हर प्रकार की शराब अब एक ही दुकान से विक्रेता बेच सकेंगे. आबकारी नीति 2025-26 में देसी-विदेशी शराब, बीयर और सरकारी भांग की दुकानों का लाइसेंस ऑनलाइन लॉटरी सिस्टम से होगा. लिहाजा पुराने लाइसेंस को नवीनीकरण नहीं होगा. यूपी सरकार में इससे पहले वित्त वर्ष 2018-2019 में ऑनलाइन लॉटरी सिस्टम से दुकानें आवंटित की गई थीं. वित्त वर्ष 2026-27 में लाइसेंस रिन्यू का विकल्प मिलेगा.
कंपोजिट दुकानों का लाइसेंस जारी होगा
सूत्रों का कहना है कि आबकारी नीति के तहत यूपी में पहली बार कंपोजिट दुकानों का लाइसेंस भी जारी होगा. ऐसे में विदेशी शराब, बीयर और वाइन शॉप की एक साथ बेचने की व्यवस्था होगी. लेकिन ऐसी शराब की दुकानों पर शराब पीने की मंजूरी नहीं होगी. नई आबकारी नीति में 55000 करोड़ का राजस्व का लक्ष्य है. पिछली बार यह 50 हजार करोड़ रुपये के करीब था. प्रीमियम रिटेल शॉप के लाइसेंस का रिन्यूअल 25 लाख सालाना फीस लेकर किया जाएगा. लाइसेंस फीस में बदलाव नहीं किया गया है. कोई भी शख्स-कंपनी और फर्म दो से ज्यादा लाइसेंस नहीं ले पाएंगे.
सरकार ने पहले ही संकेत दिया था कि शराब कारोबारियों के लिए नई नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा. यूपी में शराब की दुकानों के मालिक लंबे समय से लाइसेंस नवीनीकरण की मांग कर रहे थे. हालांकि लॉटरी सिस्टम से शराब के दाम बढ़ेंगे या नहीं, ये अभी तय नहीं है.
उत्तर प्रदेश की आबकारी नीति अमूमन दिसंबर या जनवरी में स्वीकृत होती रही है. हालांकि इस बार महाकुंभ मेला और मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव की आचारसंहिता के चलते इसमें देरी हुई. सरकार किसी जल्दबाजी में दुकानों की लाइसेंस प्रक्रिया को हरी झंडी नहीं दिखाना चाहती थी. यूपी में शराब की बिक्री का राजस्व लक्ष्य करीब 58 हजार करोड़ रुपये रखा गया है.
सरकार को मोटी कमाई
उत्तर प्रदेश आबकारी विभाग सरकार का राजस्व सरकारी विभागों में सबसे ज्यादा रहा है. वित्त वर्ष 2024-25 में आबकारी विभाग ने 29 हजार शराब की दुकानों के लाइसेंस दिए थे. इनमें 6700 अंग्रेजी शराब की दुकानें, 16400 देसी और 5900 बीयर शॉप शामिल हैं. सरकार ने शराब बिक्री से 58 हजार 310 करोड़ रुपये राजस्व का टारगेट रखा है. दिसंबर तक करीब 40 हजार करोड़ रुपये का राजस्व पूरा किया जा चुका है.सरकार ने बजट के पहले ही शराब नीति को मंजूरी दे दी है, ताकि बजट में आबकारी विभाग से होने वाली अनुमानित आय का लक्ष्य रखा जा सके.
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