Mahakumbh 2025: इन दिनों संगम नगरी प्रयागराज पर सबकी नजरें जमी हुई है. यहां आयोजित आस्था के सबसे बड़े मेले में दुनियाभर से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है. यहां स्नान-दान का अपना ही महत्व है. ऐसे में आइए जानते हैं उस सम्राट के बारे में, जिन्होंने कुंभ मेले के दौरान तब तक दान किया था, जब तक सब कुछ खत्म नहीं हो गया.
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Mahakumbh 2025: इन दिनों प्रयागराज में अलग ही रौनक देखने को मिल रही है. दुनियाभर के लोगों की नजर संगम नगरी में आस्था के सबसे बड़े मेले पर है और हो भी क्यों न, महाकुंभ ऐसा महापर्व है, जिसमें आम जनता के साथ ही साधु-संत भी शामिल होते हैं. यहां स्नान और दान करने का खास महत्व है. कहा जाता है कि इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी कामनाएं पूर्ण होती है. ऐसे में हम बात करेंगे एक कन्नौज के उस सम्राट की, जिन्होंने 75 दिनों तक कुंभ मेले का आयोजन करवाया था. इतना ही नहीं कुंभ के दौरान उन्होंने तब तक दान किया था, जब तक उनके पास से सब कुछ खत्म नहीं हो गया.
जी हां, वो राजा कोई और नहीं बल्कि कन्नौज के सम्राट हर्षवर्धन थे. ईसा के बाद की छठी सदी में भारत के दौरे पर आए चीनी यात्री ह्नेनसांग ने भी अपने संस्मरणों में प्रयागराज और कुंभ का जिक्र किया था. जिसमें बताया गया था कि सम्राट हर्षवर्धन ने 75 दिनों तक लगातार दान किया था. कहते हैं कि सम्राट तब तक दान करते थे जब तक उनके पास से सबकुछ खत्म न हो जाए. यहां तक कि वह अपने राजसी वस्त्र भी दान कर देते थे.
कौन थे हर्षवर्धन?
590-647 ई. में हर्षवर्धन ने उत्तरी भारत के तमाम इलाकों में अपना साम्राज्य स्थापित किया था. वे ऐसे हिंदू सम्राट थे, जिन्होंने पंजाब छोड़कर बाकी सभी उत्तरी भारत पर राज किया था. उन्होंने बंगाल में शासन किया था. हर्षवर्धन भारत के आखिरी महान सम्राटों में से एक थे. उन्होंने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाकर पूरे उत्तर भारत को एक सूत्र में बांधने में सफलता हासिल की थी. उन्होंने अपने शासन काल में कई विश्राम गृहों और अस्पतालों का निर्माण करवाया था.
चार बराबर भागों में बांटी आय
ह्नेनसांग ने कन्नौज में आयोजित भव्य सभा के बारे में भी जिक्र किया है, जिसमें हजारों भिक्षु शामिल हुए थे. वे हर पांच साल के आखिरी में महामोक्ष हरिषद नाम के एक धार्मिक उत्सव का आयोजन किया था. यहां वह दान समारोज आयोजित करता था. कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सम्राट हर्षवर्धन ने अपनी आय को चार बराबर भागों में बांट रखा था, जिनमें शाही परिवार के लिए, सेना और प्रशासन के लिए, धार्मिक निधि के लिए और गरीबों व बेसहारों के लिए थे.
कैसे करते थे दान?
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सम्राट हर्षवर्धन प्रयागराज में कई दान किए. वो पहले सूर्यदेव, महादेव और बुध की पूजा करते थे. फिर ब्राह्मण, आचार्य, दीन और बौद्ध भिक्षु को दान देते थे. इस दान की कड़ी में वो लाए हुए अपने खजाने की सभी चीजें दान कर देते थे. वह अपने राजसी वस्त्र भी दान कर दिया करते थे. इसके बाद सम्राट अपनी बहन राजश्री से कपड़े मांग कर पहनते थे.