एक रिसर्चर्स ने उस जेनेटिक वेरिएंट की पहचान की है जो ये प्रभावित कर सकते हैं कि कोई इंसान वेरेनिकलाइन नामक दवा के प्रति कितनी अच्छी तरह प्रतिक्रिया देते हैं, जिसका इस्तेमाल स्मोकिंग छोड़ने के लिए किया जाता है.
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Quit Smoking: सिगरेट एक ऐसी लत है जो शरीर को अंदर से खा जाती है, काफी लोग इस आदत छोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन हर कोई कामयाब नहीं हो पाता है. एक स्टडी में उन जीन्स की पहचान की गई है जो इस बात में रोल अदा कर सकते हैं कि एंटी-स्मोकिंग दवा वेरेनिकलाइन (Varenicline) इंसानों को स्मोकिंग की आदत छोड़ने में कैसे मदद करती है. वेरेनिकलाइन, जिसका व्यापक रूप से स्मोकिंग छोड़ने में मदद के लिए यूज किया जाता है, ब्रेन सेल्स में खास प्रोटीन से बाइंड होकर निकोटीन की नकल करता है, धूम्रपान के असर में रुकावट पैदा करता है और क्रेविंग्स को कम करता है.
जीन से पड़ता है असर
हालांकि, यूके में यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्टर (University of Leicester, UK) समेत कई रिसर्चर्स ने कहा कि ये दवा सभी के लिए काम नहीं करती है. लीसेस्टर विश्वविद्यालय की लीड रिसर्चर कायेशा कोली (Kayesha Coley) ने कहा, "हमारी स्टडी वेरेनिकलाइन का यूज करके सफलतापूर्वक स्मोकिंग छोड़ने से जुड़े जीनों की तलाश के लिए पूरे जीनोम को स्कैन करने वाली पहली स्टडी है."
निकोटीन एंड टोबैको रिसर्च (Nicotine and Tobacco Research) जर्नल में छपी स्टडी में यूके बायोबैंक (UK Biobank) जैसे डेटाबेस के हेल्थ रिकॉर्ड्स को देखकर उन लोगों की पहचान की गई, जिन्होंने वेरेनिकलाइन से स्मोकिंग छोड़ा और जिन्होंने नहीं छोड़ा. एक जेनेटिक विश्लेषण में वेरिएंट - किसी के डीएनए में छोटे बदलाव - का पता चला जो किसी इंसान के वेरेनिकलाइन का इस्तेमाल करके सफलतापूर्वक सिगरेट छोड़ने से जुड़े थे.
स्टडी से क्या नतीजे सामने आए?
स्टडी के ऑथर्स ने लिखा, "हम अलग-अलग प्रॉसेस में शामिल जीन्स को शामिल करके वेरेनिकलाइन-सहायक धूम्रपान समाप्ति के जैविक आधारों में शुरुआती इंसाइट देते हैं, जिसमें जीन एक्सप्रेशन भी शामिल है." लेखकों ने कहा कि फाइंडिंग्स वेरेनिकलाइन के प्रति किसी की रिस्पॉन्स को समझने में मदद करते हैं, भले ही और ज्यादा स्टडी की जरूरत हो.
कायेशा कोली ने कहा, "जीन हमें अलग अलग जैविक प्रक्रियाओं के बारे में कुछ काम के इंसाइट देते हैं, लेकिन अगला कदम हमारे फाइंडिंग्स को और भी बड़ी स्टडीज के साथ साबित करना है." अध्ययन के प्रतिभागी यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्टर में स्थित 'एक्सटेंडेड कोहोर्ट फॉर ई-हेल्थ, एनवायरनमेंट एंड डीएनए' (EXCEED) स्टडी का हिस्सा थे. जेनेटिक एनालिसिस एस्टोनिया (Estonia) सहित दूसरे नेशनल और इंटरनेशन कोहोर्ट स्टडीज के लोगों के हेल्थ रिकॉर्ड्स पर भी किया गया, जिन्होंने जेनेटिक डेटा भी जमा किया है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमें इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.