Uttar Pradesh News:मशहूर मुस्लिम शायर अंजुम बाराबंकवी ने राम जी की तारीफ में एक गजल लिखी थी, जिसे पढ़ने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पत्र लिख कर तारीफ की है और अंजुम बाराबंकवी को शुक्रिया अदा किया है. पूरी खबर जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें
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Uttar Pradesh News: भारत में भगवान् राम का वजूद सिर्फ हिन्दुओं के लिए ही नहीं है, वरना मुसलमान भी राम का नाम इज्ज़त और श्रद्धा के साथ लेते हैं.. यहाँ तक कि मुसलमान कवियों और शायरों ने भी कृष्ण, राम और सीता की स्तुति में बहुत कुछ लिखा और कहा है.. कबीर, रहीम और इकबाल जैसे कवियों और शायरों के बाद अब एक और मशहूर मुस्लिम शायर ने राम की तारीफ में गज़ल लिखा है, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तरफ से पत्र लिख कर खुशी जाहिर की गई है. प्रधानमंत्री इस गज़ल को पढ़ने के बाद बहुत खुश हुए. साथ ही अंजुम बाराबंकवी को इस गज़ल के लिए पत्र लिख कर धन्यवाद दिएं.
राम मंदिर बनना सही है
अंजुम बाराबंकवी के तरफ से एक टीवी इंटरव्यू में इस पत्र के बारे में बताया गया. उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री के पत्र को पढ़ कर मैं "भावुक हो गया था." उन्होंने आगे कहा कि मैं बाराबंकी जिले का हूं और मेरा कचहरी अयोद्धया पड़ती है. इस वजह से राम के प्रति मेरा विशेष लगाव है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर का बनना 110 प्रसेंट सही है, बल्कि इसे और पहले बन जाना चाहिए था.
राम मंदिर के बनने पर उन्होंने खूशी जाहिर की और बोले मै एक सच्चा और पक्का मुसलमान हूं. इसके बावजूद राम हमारे वजूद में शामिल हैं. कुछ लोगो को लगता है कि "वंदे मातरम् गाने से उनका मजहब खतरे में आ जाएगा," ये उनकी "छोटी सोच को दिखाता है." उन्होंने राम जी की तारीफ करते हुए कहा कि "मर्यादा पुरुषोत्तम" मुझे कमजोर शब्द लगता है. राम की शख्सियत इससे ज्यादा बुलंद है.
फतवे से नहीं डरते- अंजुम बारबंकवी
अंजुम बाराबंकवी ने प्रधानमंत्री के तरफ से भेजे गए पत्र के बारे में बताया कि उस पत्र को पढ़ कर मेरी आंखों में आंसू आ गए थे. मजहब से जुड़े सवाल पर उन्होंने जवाब दिया कि धर्म कोई गुड्डा-गुड्डी का खेल नहीं है जो खतरे में आ जाएगा. उन्होंने राम जी की तारीफ करते हुए कहा की राम से सीखने वाली बात है की "भाई कैसा होना चाहिए," जब उनसे फतवा के बारे में पूछा गया तो अंजुम बाराबंकवी ने जवाब दिया कि "हम किसी फतवे से नही डरते है."
बाराबंकवी ने लिखी थी गज़ल
दूर लगते हैं मगर पास हैं दशरथ नन्दन...
मेरी हर साँस का विश्वास हैं दशरथ नन्दन...
दिल के काग़ज़ पे कई बार लिखा है मैंने...
इक महकता हुआ अहसास हैं दशरथ नन्दन...
दूसरे लोगों के बारे में नहीं जानता हूँ...
मेरे जीवन में बहुत ख़ास हैं दशरथ नन्दन...
और कुछ दिन में समझ जाएगी छोटी दुनिया...
हम ग़रीबों की बड़ी आस हैं दशरथ नन्दन...
आप इस तरह समझ लीजिए मेरी अपनी...
ज़िन्दगी के लिए मधुमास हैं दशरथ नन्दन...
ये जो दौलत है मेरे सामने मिट्टी भी नहीं...
मेरी क़िस्मत के मेरे पास हैं दशरथ नन्दन...
मेरी ये बात भी जो चाहे परख सकता है...
सच के हर रूप के अक्कास हैं दशरथ नन्दन...