ये है मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी इमारत, सम्राट अशोक से है खास कनेक्शन

Harsh Katare
Feb 22, 2025

सांची स्तूप

सांची स्तूप का इतिहास दुनियाभर के लोगों को अपनी तरफ खींच लेता है, हर साल यहां लोग पहुंचते हैं.

विश्व धरोहर

1989 में UNESCO ने सांची स्तूप को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया था, यह सबसे पुराने स्तूपों में से एक है.

सम्राट अशोक

सम्राट अशोक ने तीसरी सदी में सांची स्तूप का निर्माण कराया था, सांची स्तूप का व्यास 36.5 m और ऊंचाई लगभग 21.64 m है.  

सांची स्तूप का अलग नाम

कई अभिलेखों में सांची स्तूप को ककनादबोट कहा गया है, ये प्रेम, विश्वास, शांति और साहस का प्रतीक है.

बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म अपनाने के बाद अशोक ने सांची स्तूप को बनवाया था, सांची स्तूप बौद्ध अध्ययन और शिक्षा केंद्र के तौर पर बनाया गया था.

सांची स्तूप क्यों खास है

सांची स्तूप को देश को सबसे पुराना शैल संरचना माना जाता है, यह स्तूप ब्रह्मांडीय स्तूप का प्रतीक है.

बौद्ध कला

सांची स्तूप बौद्ध कला और वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं, जिनमें मठ और एकात्म मंदिर भी शामिल हैं जहां मंदिर में पूजा की जाती है.

दान के भी मिले अभिलेख

अभिलेखों में ऐसे 800 दानदाताओं के नाम मिलते हैं जिन्होंने स्तूप निर्माण के लिए दान दिया है, सांची के स्तूप की खोज के 200 साल पहले हुई थी.

कैसे पहुंचे

ये विदिशा से 10 Km की दूरी रायसेन जिले में स्थित है, आप यहां ट्रेन और सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं.

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