Delhi MCD Budget: दिल्ली भाजपा ने एमसीडी बजट को लेकर पहले ही सवाल उठाए हैं. पार्टी का कहना है कि निगम के पास फंड की कमी है, लेकिन सरकार सिर्फ दिखावे की योजनाएं पेश कर रही है.
Trending Photos
Delhi Municipal Corporation : लंबे इंतजार के बाद दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का बजट आज पेश किया जाएगा. खास बात यह है कि इस बार कोई नया कर नहीं लगाया जाएगा, जिससे आम जनता को राहत मिलेगी. हालांकि, यह बजट सिर्फ वित्तीय योजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं.
बिना स्थायी समिति के बजट पेश करने की मजबूरी?
दिल्ली में एमसीडी बजट को लेकर हर साल कुछ न कुछ विवाद देखने को मिलता है. इस बार भी नगर निगम स्थायी समिति के गठन में देरी को लेकर सवाल उठ रहे हैं. दिल्ली सरकार की ओर से यह आरोप लगाया जा रहा है कि एमसीडी के कामकाज को ठीक से नहीं चलने दिया जा रहा, जबकि उपराज्यपाल (एलजी) का पक्ष है कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं के तहत ही बजट पास किया जा रहा है. साथ ही नगर निगम के बजट को लेकर नियमों की अनदेखी पर विपक्ष भी हमलावर है. पारंपरिक रूप से बजट पहले स्थायी समिति के पास जाता था, लेकिन इस बार भी ऐसा नहीं हुआ. पिछले दो सालों में भी इसी तरह का घटनाक्रम देखने को मिला था, जब निगम चुनाव और स्थायी समिति न बनने के कारण बजट को सीधे सदन से पास कराया गया था. अब इस बार भी नगर आयुक्त अश्विनी कुमार को बजट पेश करने की अनुमति सीधे उपराज्यपाल से लेनी पड़ी. इससे राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर यह बहस छिड़ गई है कि क्या एमसीडी की स्वायत्तता प्रभावित हो रही है.
जानें आप सरकार की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बजट में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की छवि को मजबूत करने की कोशिश की गई है. कोई नया कर न लगाकर सरकार यह संदेश देना चाहती है कि वह जनता पर बोझ नहीं डालना चाहती. साथ ही सफाई, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अहम क्षेत्रों में खर्च बढ़ाकर सरकार अपनी प्राथमिकताओं को भी जाहिर कर रही है. सफाई मद में खर्च बढ़ाकर 4,907 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव, शिक्षा क्षेत्र के लिए 1,663 करोड़ रुपये और स्वास्थ्य के लिए 1,832 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है.
सिर्फ दिखावटी योजनाएं
दिल्ली भाजपा ने इस बजट को लेकर पहले ही निशाना साध लिया है. पार्टी का कहना है कि एमसीडी में फंड की कमी के बावजूद सरकार सिर्फ दिखावटी योजनाएं पेश कर रही है. भाजपा का दावा है कि सफाई कर्मचारियों को वेतन देने में देरी हो रही है और निगम के कई विभागों में पारदर्शिता की कमी बनी हुई है.
जनता के लिए राहत या चुनावी रणनीति?
एमसीडी का यह बजट सीधे जनता को राहत देता दिख रहा है, लेकिन इसके पीछे राजनीतिक समीकरण भी उतने ही गहरे हैं. अगले साल लोकसभा चुनाव हैं और दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि एमसीडी के जरिए जनता को कोई नाराजगी न हो. अब देखने वाली बात यह होगी कि यह बजट वाकई जनता को लाभ पहुंचाएगा या फिर यह सिर्फ राजनीतिक दांव-पेच का हिस्सा भर है.
ये भी पढ़िए- GDA Master Plan: शहरवासियों के लिए खुशखबरी! गाजियाबाद में विकसित होंगे 23 नए पार्क