Congress Leader Priyanka Gandhi Missing: दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी की गैरमौजूदगी को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई सवाल उठ रहे हैं. यह कांग्रेस की रणनीतिक चूक है या कोई नई रणनीति, यह साफ नहीं है.
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Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल पूरी तरह गर्म हो चुका है. इस बार का चुनावी समर खासतौर पर महिला वोटरों के इर्द-गिर्द घूमता नजर आ रहा है. भाजपा (BJP) और आम आदमी पार्टी (AAP) दोनों ने महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने-अपने संकल्प पत्र में विशेष योजनाओं की घोषणा की है. इनमें मासिक सहायता योजना जैसे आकर्षक वादे किए गए हैं. ऐसे में प्रियंका गांधी का दिल्ली चुनाव में सक्रिय नहीं होना और कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठना लाजिमी है.
भाजपा की महिला मतदाताओं को साधने की रणनीति
भाजपा ने इस बार महिला सुरक्षा, शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण पर जोर देते हुए कई योजनाओं का ऐलान किया है. महिला समृद्धि योजना के माध्यम से दिल्ली की हर महिला को हर महीने 2,500 रुपये, महिला समृद्धि योजना (Mahila Samriddhi Yojana) के तहत भाजपा गरीब तबके की महिलाओं को 500 रुपये में LPG सिलेंडर. वहीं होली और दिवाली पर भी एक-एक सिलेंडर मुफ्त, मातृ सुरक्षा वंदना के तहत 6 पोषण किट दिए जाएंगे और प्रत्येक गर्भवती महिला को 21,000 रुपये जैसी योजनाओं का वादा किया है.
आप महिलाओं को देगी 2100 रुपये प्रति माह
वहीं आप ने अपनी महिला मतदाता नीति को और मजबूत करने के लिए मासिक वित्तीय सहायता योजना को प्रमुखता दी है. महिला सम्मान योजना (Mahila Samman Yojana) के तहत 18 साल से अधिक उम्र की पात्र महिलाओं को 2100 रुपये प्रति माह मिलेंगे. इसके अलावा भी आप ने दिल्ली के लोगों की सुविधा के लिए पहले से ही काफी योजना चला रखी है. इस बार भाजपा और आप दोनों यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि महिला मतदाता उनकी तरफ झुकें.
कांग्रेस की खामोशी क्या है रणनीति?
जहां भाजपा और आप महिला मतदाताओं को साधने के लिए मैदान में कूद पड़ी हैं, वहीं कांग्रेस अब तक पूरी तरह चुप है. कांग्रेस के पास प्रियंका गांधी जैसी मजबूत महिला चेहरा है, लेकिन दिल्ली चुनाव में उनका अब तक कोई सक्रिय योगदान नहीं दिखा है. 2022 के उत्तर प्रदेश चुनाव में प्रियंका गांधी ने 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' जैसे नारे के साथ महिलाओं को सशक्त करने का प्रयास किया था. हालांकि, दिल्ली में इस नारे की गूंज सुनाई नहीं दे रही है. एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कांग्रेस अपनी अंदरूनी कमजोरियों से जूझ रही है. पार्टी के पास मजबूत संगठनात्मक ढांचा नहीं है और न ही कोई ऐसा स्थानीय चेहरा है जो महिलाओं को कांग्रेस की ओर खींच सके. प्रियंका गांधी को इस मौके पर आगे आकर कांग्रेस की स्थिति मजबूत करनी चाहिए थी, लेकिन चुनाव में उनका सक्रिय ना होना पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. पार्टी ने जिन उम्मीदवारों को टिकट दिया है उनको राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से काफी उम्मीद थी. दोनों ही चुनाव के दायरे से दूर है. प्रत्येक उम्मीदवार अपने बलबूते पर ही चुनाव लड़ रहा है.
महिला वोटरों की अहमियत
दिल्ली में महिला वोटरों की संख्या पुरुषों के मुकाबले ज्यादा है. दिल्ली चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, महिला वोटरों का प्रतिशत करीब 51% है. यह प्रतिशत बताता है कि महिला मतदाता किसी भी पार्टी की जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. भाजपा और आप इस गणित को समझते हुए अपने संकल्प पत्र में महिला केंद्रित योजनाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं.
कांग्रेस के लिए यह अवसर या चुनौती?
कांग्रेस के पास प्रियंका गांधी का चेहरा है, लेकिन उसका इस्तेमाल न करना उसकी रणनीतिक चूक मानी जा रही है. दिल्ली में कांग्रेस का आधार पहले ही कमजोर हो चुका है और अगर पार्टी महिला वोटरों को साधने में असफल रहती है, तो उसका पुनरुद्धार और कठिन हो जाएगा. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस को महिला वोटरों को आकर्षित करने के लिए न केवल प्रियंका गांधी को सक्रिय करना चाहिए, बल्कि महिला केंद्रित योजनाओं का एक ठोस खाका भी पेश करना चाहिए. महिलाओं के लिए रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे मुद्दे हर पार्टी के एजेंडे में होने चाहिए और कांग्रेस को भी इसे प्राथमिकता देनी होगी.
प्रियंका के सक्रिय ना होने पर उठ रहे सवाल
राजनीतिक गलियारों में दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी के सक्रिय ना होने पर कई सवाल खड़े हो रहे है. क्या यह कांग्रेस की रणनीतिक चूक है या फिर पार्टी किसी अलग रणनीति पर काम कर रही है? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रियंका गांधी का चुनावी अभियान में शामिल न होना महिला वोटरों के बीच कांग्रेस की कमजोर छवि को और पुख्ता कर सकता है.
नतीजा क्या होगा?
दिल्ली चुनाव 2025 महिला केंद्रित राजनीति का गवाह बनेगा. भाजपा और आप ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है, लेकिन कांग्रेस की निष्क्रियता ने उसकी संभावनाओं को धूमिल कर दिया है. अगर कांग्रेस महिला वोटरों को आकर्षित करने में असफल रहती है, तो यह चुनाव उसके लिए एक और हार की कहानी लिख सकता है. वहीं, भाजपा और आप के बीच महिला वोटरों को लेकर चल रही यह प्रतिस्पर्धा दिल्ली के चुनावी इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ सकती है. अब देखना यह है कि दिल्ली की महिलाएं किसे अपना समर्थन देती हैं और यह चुनावी रण किस दिशा में जाता है.
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