Who is The Next CM: सिख और पंजाबी चेहरा उतारकर बीजेपी पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी के सामने मुसीबत खड़ी कर सकती है. बीजेपी का प्रयास हो सकता है कि पंजाब में आप को चोट पहुंचाकर वह उसकी रही बची ताकत को ख़त्म कर दे.
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Delhi Next CM : राजनीतिक गलियारों में ये जबर्दस्त चर्चा है कि बीजेपी दिल्ली का सीएम चुनने में जातीय संतुलन का ध्यान रख रही है. अब राजस्थान को ही ले लीजिये, यहां बीजेपी ने ब्राह्मण फेस भजन लाल शर्मा को सीएम बनाया है. हरियाणा में ओबीसी समाज के नायब सैनी को सीएम, जबकि यूपी में राजपपोट राजपूत +पहाड़ी फेस योगी आदित्यनाथ को प्रदेश का नेतृत्व सौंपा गया है. ऐसे में बीजेपी के पास दिल्ली में जातीय संतुलन साधने का विकल्प जाट, वैश्य, सिख, पंजाबी, दलित ही बचता है.
किस समाज से कितना फायदा?
अब इसके पीछे के कारणों को ऐसे समझ सकते हैं. सिख और पंजाबी चेहरा उतारकर बीजेपी पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी के सामने मुसीबत खड़ी कर सकती है. इसके पीछे एक और कारण ये भी हो सकता है कि जिस तरह आम आदमी पार्टी ने दो राज्यों में सरकार बनाकर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल किया था. उसके बाद उसके हौसले बुलंद थे. दिल्ली चुनाव जीतकर अरविन्द केजरीवाल खुद को देश के सामने मजबूत नेता के तौर पर दिखाना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. अब बीजेपी का ये प्रयास हो सकता है कि वह आम आदमी पार्टी को पंजाब से हटाकर उसके इस सपने को चकनाचूर कर दे और सिख चेहरे को दिल्ली में सीएम बनाकर वह पंजाब तक संदेश दे सके.
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पंजाब में सरकार बनाने और आप को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए बीजेपी राजौरी गार्डन के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा को दिल्ली सीएम कैंडिडेट पर दांव खेल सकती है. मनजिंदर सिंह सिरसा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के भी अध्यक्ष और अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के बहुत करीबी रह चुके हैं. बीजेपी के पास सिख समुदाय का कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है. ऐसे में बीजेपी सिरसा के सहारे पंजाब में खेला कर सकती है.
वैसे तो दिल्ली में पार्टी की वापसी कराने में दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नाम की भी चर्चा है, लेकिन इसकी गुंजाइश नहीं दिख रही. इसका कारण ये है कि बीजेपी को दिल्ली में बढ़त दिलाने के बदले वह अगले लोकसभा चुनाव में हाईकमान के सामने टिकट की मजबूत दावेदारी पेश कर सकते हैं. अगर ऐसा होता भी है तो सचदेवा का ऐसी उम्मीद करना गलत नहीं है.
जाट सीएम से पश्चिमी यूपी पर नजर
वहीं अगर जाट चेहरे को सीएम बनाकर 2027 में होने वाले यूपी चुनाव में पश्चिमी यूपी के वोटर्स को साध सकती है, क्योंकि किसान आंदोलन के दौरान हरियाणा, राजस्थान के जाट नाराज दिखे थे. इसके अलावा वैश्य बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है. वैश्य समाज के विधायक को सीएम बनाकर बीजेपी अरविन्द केजरीवाल की कमर को पूरी तरह तोड़ सकती है, लेकिन पहले से कमजोर हुए आप संयोजक के लिए ऐसा करने की अभी कोई जरूरत नहीं दिख रही. अब अगर दलित समाज का सीएम बनता है तो बीजेपी दलित का दांव चलकर विपक्ष के संविधान, बाबा साहेब वाले प्लान को अपने पाले में कर सकती है. क्योंकि इस वक्त कोई दलित सीएम नहीं है. ऐसा करने का यूपी, बिहार और पंजाब में भी खासा असर दिख सकता है. हाईकमान आखिरी फैसला क्या लेगा, इसका पता संभवत: इसी सप्ताह चल जाएगा.
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