MCD Mayor Election: दिल्ली MCD में सत्ता संघर्ष, क्या AAP के हाथ से फिसल जाएगी मेयर की कुर्सी? पढ़ें पूरा समीकरण
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MCD Mayor Election: दिल्ली MCD में सत्ता संघर्ष, क्या AAP के हाथ से फिसल जाएगी मेयर की कुर्सी? पढ़ें पूरा समीकरण

Delhi MCD Mayor Election: दिल्ली MCD में मेयर का कार्यकाल एक वर्ष का होता है. चुनाव में 250 पार्षदों के अलावा 7 लोकसभा सांसद, 3 राज्यसभा सांसद और 14 नामित विधायक वोट करते हैं. कुल 274 मतों में से 138 वोट हासिल करने वाला उम्मीदवार मेयर चुना जाता है. अब देखना यह होगा कि क्या AAP अपनी सत्ता बचा पाएगी या फिर बीजेपी अपनी नई रणनीति से MCD में इतिहास रचने में कामयाब होगी.

 

MCD Mayor Election: दिल्ली MCD में सत्ता संघर्ष, क्या AAP के हाथ से फिसल जाएगी मेयर की कुर्सी? पढ़ें पूरा समीकरण

MCD Mayor Election: दिल्ली नगर निगम (MCD) का आगामी मेयर चुनाव अब पूरी तरह से राजनीतिक मुकाबले में बदल चुका है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) ने शानदार जीत दर्ज की, जिससे आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा. अब सवाल यह उठता है कि क्या एमसीडी चुनाव में भी बीजेपी बाजी पलट सकती है या फिर AAP अपनी सत्ता बचाने में सफल होगी. इस बार का मेयर चुनाव सिर्फ निगम का प्रशासनिक प्रमुख तय नहीं करेगा, बल्कि यह दिल्ली की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित कर सकता है.

MCD में बदलते समीकरण और राजनीतिक रणनीतियां
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली नगर निगम में कुल 250 वार्ड हैं, लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के बाद समीकरण बदल गए हैं. 11 पार्षद विधायक बन चुके हैं, जिससे अब निगम में केवल 239 पार्षद रह गए हैं. मौजूदा स्थिति में AAP के पास 119 पार्षद और बीजेपी के पास 113 पार्षद हैं, जबकि कांग्रेस के पास केवल 7 पार्षद हैं. इस संख्या को देखते हुए AAP को बढ़त हासिल है, लेकिन समीकरण कभी भी बदल सकते हैं. बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद अब निगम में भी जनता का समर्थन बीजेपी के पक्ष में है. वहीं, AAP को डर है कि अगर निगम की 11 खाली सीटों पर उपचुनाव होते हैं और बीजेपी को ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो उसका बहुमत खतरे में पड़ सकता है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर AAP को निगम में अपनी सत्ता बनाए रखनी है तो उसे इन उपचुनावों में कम से कम 3 सीटें जीतनी ही होंगी.

क्या कांग्रेस बनेगी 'किंगमेकर'?
दिल्ली MCD के इस चुनाव में कांग्रेस की भूमिका भी अहम हो सकती है. पिछले मेयर चुनाव में कांग्रेस ने मतदान का बहिष्कार किया था, जिससे AAP को फायदा हुआ था, लेकिन इस बार कांग्रेस अपने पार्षदों को लेकर रणनीतिक फैसले ले सकती है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि हम इस बार तटस्थ नहीं रहेंगे. हमारा रुख जनता के हित में होगा. अगर कांग्रेस अपने पार्षदों को किसी खास दल के समर्थन में उतारती है, तो वह पार्टी मेयर की कुर्सी पर काबिज हो सकती है.

BJP की नई रणनीति और AAP पर दबाव
बीजेपी इस बार किसी भी हालत में MCD में अपनी सरकार लाने के लिए तैयार दिख रही है. पार्टी ने अपने विधायकों और पार्षदों को निर्देश दिए हैं कि वे चुनाव में ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटाने के लिए काम करें. बीजेपी के पास 7 लोकसभा सांसद और 9-10 विधायक हैं, जो इस चुनाव में वोट करेंगे, जिससे बीजेपी के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी होगी. इसके अलावा, बीजेपी उन निर्दलीय पार्षदों और असंतुष्ट नेताओं से भी संपर्क कर रही है, जो AAP से नाराज हैं. पार्टी का मकसद विपक्ष के मतों को बांटना और अपनी स्थिति मजबूत करना है. वहीं, AAP के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा. विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी के कई नेता असंतुष्ट बताए जा रहे हैं. अगर AAP के भीतर कोई असहमति या टूट-फूट होती है, तो यह मेयर चुनाव में उसकी हार का कारण बन सकती है.

मेयर चुनाव की प्रक्रिया और राजनीतिक गणित
दिल्ली MCD में मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है. चुनाव प्रक्रिया में 250 निर्वाचित पार्षद, 7 लोकसभा सांसद, 3 राज्यसभा सांसद और 14 नामित विधायक वोट करते हैं. इस तरह कुल 274 मतों में से 138 मत हासिल करने वाला उम्मीदवार मेयर बनता है. अगर मौजूदा आंकड़ों को देखें तो AAP को बहुमत हासिल है, लेकिन कांग्रेस का रुख और उपचुनाव के नतीजे समीकरण को पूरी तरह बदल सकते हैं. बीजेपी की रणनीति यह है कि अगर वह कुछ पार्षदों को अपने पक्ष में कर लेती है, तो MCD में सत्ता परिवर्तन संभव हो सकता है.

क्या दिल्ली MCD में बदल जाएगी सत्ता?
MCD का यह चुनाव दिल्ली की राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है. बीजेपी इस बार MCD में अपनी सत्ता वापस लाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है, जबकि AAP के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई है. अगर कांग्रेस किसी भी दल का समर्थन करती है, तो समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं. वहीं, निर्दलीय पार्षद और उपचुनाव के नतीजे भी अहम होंगे. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या AAP अपनी सत्ता बचा पाएगी या फिर बीजेपी अपनी रणनीति से MCD में नया इतिहास रचने में सफल होगी. आने वाले हफ्तों में सियासी हलचल तेज होने वाली है और मेयर चुनाव के नतीजे दिल्ली की राजनीति की दिशा को तय कर सकते हैं.

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