मुफ्त बिजली और बिना बाधा के बिजली की आपूर्ति- ये दोनों बातें देश में अगर कहीं संभव हुईं हैं तो वो है दिल्ली. दिल्ली में तीन बार मुख्यमंत्री रहे पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दावा है कि यह चमत्कार केवल वही कर सकते हैं. जादूगर केवल अरविंद केजरीवाल ही है.
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Delhi Assembly Election 2025: मुफ्त बिजली और बिना बाधा के बिजली की आपूर्ति- ये दोनों बातें देश में अगर कहीं संभव हुईं हैं तो वो है दिल्ली. दिल्ली में तीन बार मुख्यमंत्री रहे पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दावा है कि यह चमत्कार केवल वही कर सकते हैं. जादूगर केवल अरविंद केजरीवाल ही है. देश में कोई ऐसा प्रदेश नहीं, कोई ऐसा शहर नहीं जहां बिजली फ्री भी है और 24 घंटे बिजली की आपूर्ति भी है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा आम आदमी पार्टी जोर-शोर से जनता के बीच उठा रही है- 'आम आदमी पार्टी के लिए झाड़ू पर बटन नहीं दबा, तो बिजली भी स्विच ऑफ हो जाएगी'.
जब दिल्ली के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली आकर वोट मांगते हैं तो आम आदमी पार्टी बिजली का मुद्दा जोर-शोर से उठाती है. हालांकि यूपी ने 2024 में ही पूरे प्रदेश में 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा था और केंद्र सरकार ने तो पूरे देश में 24 घंटे बिजली आपूर्ति का लक्ष्य 2025 के लिए रखा है. मगर यूपी सरकार इस मकसद में विफल रही और केंद्र सरकार भी 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक संसाधन जिस धीमी रफ्तार से जोड़ रही है, उसे देखते हुए लक्ष्य का पूरा होना असंभव लगता है. यह बात तो बिजली आपूर्ति को लेकर है. बिजली फ्री को लेकर अभी कोई कहीं बात नहीं कर रहा है. चुनाव में भले ही नारे दिए जाने शुरू हो चुके हैं, जमीनी हकीकत यह है कि इस बारे में कोई राजनीतिक पार्टी किसी भी प्रदेश में कुछ दिखा नहीं सकी है.
निर्बाध बिजली पर दिल्ली को गौरव
आखिर दिल्ली में यह कैसे मुमकिन हुआ? आलोचक कहते हैं कि दिल्ली छोटा सा प्रदेश है. छोटा प्रदेश छोड़ दीजिए, नगर-महानगर में ही मुफ्त बिजली-24 घंटे आपूर्ति क्यों संभव नहीं हो पाया है? वास्तव में इसी फर्क को सामने ला रही है आम आदमी पार्टी. चुनाव में इस मुद्दे को भुना रही है आम आदमी पार्टी. अरविंद केजरीवाल खुद को जादूगर बता रहे हैं. एक अकेला जिसने असंभव को संभव कर दिखाया. केजरीवाल पूछते हैं दिल्ली से सटे नोएडा में क्यों 6 घंटे की बिजली कट रहती है? यूपी के शहरों में क्यों 8 घंटे बिजली कट रहती है? ऐसा नहीं है कि ये सवाल बेमानी हैं. इन सवालों का सीधा जनता से संबंध होता है.
दिल्ली से सटे यूपी या हरियाणा में चले जाइए तो दुकान से लेकर मेडिकल स्टोर और अस्पताल तक, छोटी से बड़ी सोसायटियों में घर्र-घर्र करते जेनरेटर या पावर बैक आपको दिख जाएंगे. बाज़ारों में भी जेनरेटर के ध्वनि और वायु प्रदूषण को महसूस किया जा सकता है. पावर बैक पर बुनियादी खर्च और परिचालन व्यय व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों तरीकों से लोगों को झेलना पड़ता है. लेकिन, दिल्ली में रहने वाले लोग इससे आजाद हैं. उन्हें 24 हजार रुपये का पावर बैक अप व्यक्तिगत स्तर पर खरीदना नहीं पड़ता या फिर सोसायटी में जेनरेटर से चलने वाली महंगी बिजली खरीदनी नहीं पड़ती. हर परिवार को कम से कम ढाई हजार रुपये महीने की बचत निश्चित तौर पर होती है. ऑड सीजन में यह बचत और भी अधिक होती है जो निश्चित रूप से आभासी है, लेकिन महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय है.
मुफ्त बिजली की सुविधा ले रहे हैं 37 लाख परिवार
दिल्ली में 37 लाख परिवार मुफ्त बिजली का फायदा उठा रहे हैं. करीब 55 फीसदी परिवारों को मुफ्त बिजली का फायदा मिल रहा है. जिन परिवारों को बिजली का आधा बिल देना पड़ता है यानी जिनकी खपत 200 यूनिट और 400 यूनिट के बीच है, उनकी संख्या भी 15 लाख के करीब है. करीब दो तिहाई परिवारों को मुफ्त बिजली का पूरा या आंशिक फायदा मिल रहा है. महज 3500 करोड़ की सब्सिडी से दिल्ली की गरीब जनता मुफ्त बिजली और निर्बाध बिजली का फायदा उठा रही है तो यह आइडिया दूसरे प्रदेश में क्यों लागू नहीं हो रहा है? क्यों नहीं राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी पॉलिसी बनती है कि देशभर के नागरिकों को इसका फायदा मिले? अरविंद केजरीवाल ने बिजली के माध्यम से विकास का एक ऐसा मॉडल पेश किया है जो जनता को सहूलियत देने वाला मॉडल है. जनता के पैसे से जनता को सहूलियत. यह उदाहरण दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अपने विरोधी दलों के सामने चुनौती के रूप में रख रही है.
फ्री और निर्बाध बिजली को 'रेवड़ी' बताना भी थोड़ी आम जनता के साथ थोड़ी ज्यादती है. फ्री बिजली छात्रों की आवश्यकता है जिनके लिए ऑनलाइन पढ़ाई जीवन का हिस्सा बन चुका है. ये छात्र स्कूली भी हैं और उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले भी. व्यक्तिगत जीवन से लेकर कारोबारी जीवन और दफ्तरों तक में बिजली निर्बाध रहने से वाई-फाई, एसी, चाय-कॉफी की मशीनें सबका परिचालन संभव होता है. इस कारण वर्किंग एन्वायरमेंट से लेकर कई तरह की बचत भी होती है. एक तरह से निर्बाध बिजली से शहर का वातावरण ही बदल जाता है जो कोई भी दिल्ली आकर महसूस कर सकता है या फिर दिल्ली वालों से बात करके फर्क को समझ सकता है.
24 घंटे और मुफ्त बिजली देकर 'जादूगर' बने केजरीवाल
अकेली बिजली की सुविधा ही अरविन्द केजरीवाल को बाकी राजनीतिज्ञों से अलग कर देती है. वोटरों के बीच में केजरीवाल के प्रभाव का बिजली ऐसा कारण है जो दिखाई नहीं देता, मगर अहसास बनकर वोटरों के दिलों में है. अरविन्द केजरीवाल खुद को जादूगर बताते हैं तो इस पर किसी को आपत्ति नहीं होती. कोई उन्हें बड़बोला नहीं कहता. वजह साफ है कि देश के इकलौते राजनेता हैं अरविन्द केजरीवाल जिन्होंने दिल्ली में फ्री और अन इंटरप्टेड बिजली को संभव बनाया है. इस वजह से औसतन हर परिवार को 5 हजार रुपये की बचत हो रही है. यह वह बचत है जो बिल के रूप में दिख रही है. परोक्ष बचत को जोड़ें मसलन पावर बैक जैसी युक्तियों से निजात तो यह रकम और बड़ी हो जाती है. निश्चित रूप से बिजली की उपलब्धता और मुफ्त में उपलब्धता दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा सकारात्मक मुद्दा है.