Jehanabad News: आज के डिजिटल युग में जहां ऑनलाइन बैंकिंग, ई-वॉलेट और यूपीआई ट्रांजैक्शन का बोलबाला है. वहीं, इसी दौर में गुल्लक का क्रेज अभी भी बना हुआ है. गुल्लक न केवल बचत की परंपरा को जीवित रखता है, बल्कि बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए एक भावनात्मक जुड़ाव भी रखता है. मिट्टी का गुल्लक बना कर बेचने वाले न सिर्फ पुरानी परंपरा को जीवित रखे हुए हैं, बल्कि अपनी जीविका भी इसी से चला रहे हैं.
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Jehanabad News: आज के डिजिटल, ऑनलाइन बैंकिंग, ई-वॉलेट और यूपीआई ट्रांजैक्शन के युग में बिहार के जहानाबाद जिले में आज भी लोग सड़कों पर मिट्टी से बने गुल्लक बेच कर लोग अपनी जीविका चला रहे हैं. दरअसल, हुलासगंज ब्लॉक के चिरी गांव रहने वाले राकेश कुमार का कहना है कि गांव से ही गुल्लक को लेकर आते हैं और शहर में ठेले से घूम-घूम कर बेचते हैं. उन्होंने बताया कि दिनभर में गुल्लक बेचकर उन्हें 300 से 400 रुपए की कमाई हो जाती है. हालांकि, पहले की अपेक्षा अब बिक्री काफी कम हो गई है. कारण ज्यादातर लोग अब ऑन लाइन मोबाइल का उपयोग करने लगे हैं. अगर 10 रुपये की भी जरूरत पड़ती है, तो लोग अपने मोबाइल का ही उपयोग करते हैं. पहले लोग इस मिट्टी के बैंक को अपने घर में रख इसमें पैसा जमा करते थे. बहुत जरूरी होने पर इसे तोड़कर पैसा निकालकर उपयोग करते थे. पे-फोन, गूगल पे-फोन आने से इसकी बिक्री काफी हद तक कम हो गई है. हमलोग की रोजी रोटी भी छीन सी गई है.
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राकेश ने बयाता कि पर्व त्योहार के मौके पर बिक्री ज्यादा होती है. गुल्लक केवल सिक्के और नोट रखने का एक साधन नहीं, बल्कि यह एक भावनात्मक जुड़ाव और अनुशासन का प्रतीक भी है. गुल्लक का उपयोग करने के लिए किसी ऐप, पासवर्ड या इंटरनेट की आवश्यकता नहीं होती है. डिजिटल बैंकिंग में पैसे कब खर्च हो जाते हैं, इसका एहसास कई बार देर से होता है, जबकि गुल्लक में जमा किए गए पैसे को गिनकर देखा जा सकता है.
बचपन में माता-पिता बच्चों को पैसे की अहमियत सिखाने के लिए गुल्लक देते हैं. इसमें पैसे जोड़ने से बच्चों में बचत की आदत विकसित होती है और उन्हें समझने में भी आसानी होती है. गुल्लक का उपयोग लोगों को सिखाता है कि कैसे छोटी-छोटी बचत कैसे बड़ा रूप ले सकती है. गुल्लक बचत करने की आदत डालने के साथ-साथ लोगों में आत्मनिर्भरता की भावना भी विकसित करता है. जब कोई बच्चा अपनी गुल्लक से जमा किए गए पैसे निकालकर अपनी पसंद की चीज खरीदता है, तो उसे आत्मनिर्भरता और वित्तीय प्रबंधन का पहला अनुभव मिलता है.
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हालांकि, डिजिटल बैंकिंग ने लेन-देन को भले ही आसान बना दिया है, फिर भी गुल्लक की मौजूदगी और इसका महत्व आज भी बना हुआ है. विशेष कर छोटे बच्चे बैंकिंग की जटिलताओं को नहीं समझते, लेकिन गुल्लक के माध्यम से वे बचत करना सीख सकते हैं. यह सिर्फ बचत का माध्यम नहीं बल्कि अनुशासन,आत्मनिर्भरता और वित्तीय समझ विकसित करने का एक प्रभावी तरीका है.
इनपुट - मुकेश कुमार
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