Nitrogen gas death: इस प्रक्रिया में कैदी के चेहरे पर एक मास्क लगाया जाता है. जिसमें सांस लेने वाली हवा को पूरी तरह से नाइट्रोजन गैस से बदल दिया जाता है. जिससे ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु हो जाती है. यह सजा पूरी होती है तो अमेरिका में 2025 की यह तीसरी फांसी होगी.
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Alabama execution: अमेरिका की अलबामा जेल दुनिया की सबसे खूंखार जेलों में से एक मानी जाती है. यहां की यातनाएं चर्चा में रहती हैं. इसी कड़ी में यहां एक हत्यारे को नाइट्रोजन गैस के जरिए फांसी देने की तैयारी की जा रही है. 52 वर्षीय डेमेट्रियस टेरेंस फ्रेजियर को 1991 में 41 वर्षीय पॉलीन ब्राउन की हत्या के जुर्म में मौत की सजा सुनाई गई थी. अभियोजन पक्ष के मुताबिक फ्रेजियर ने बर्मिंघम स्थित ब्राउन के अपार्टमेंट में जबरन घुसकर पहले उनके साथ दुष्कर्म किया और फिर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी.
पूरी तरह से नाइट्रोजन गैस..
एक अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अगर यह सजा पूरी होती है तो अमेरिका में 2025 की यह तीसरी और अलबामा की पहली फांसी होगी. अलबामा पिछले साल नाइट्रोजन गैस के जरिए फांसी देने वाला पहला राज्य बना था जब तीन कैदियों को इस विधि से मौत दी गई थी. इस प्रक्रिया में कैदी के चेहरे पर एक मास्क लगाया जाता है. जिसमें सांस लेने वाली हवा को पूरी तरह से नाइट्रोजन गैस से बदल दिया जाता है. जिससे ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु हो जाती है.
दोषी की मां लगा रही गुहार..
इस बीच फ्रेजियर की मां और मृत्युदंड विरोधियों ने उनकी सजा रोकने के लिए मिशिगन की गवर्नर ग्रेचेन व्हिटमर से हस्तक्षेप की अपील की है. फ्रेजियर की मां कैरल फ्रेजियर ने एक पत्र में लिखा कि मेरा बेटा बदल चुका है, उसने पश्चाताप किया है. कृपया अलबामा को मेरे बेटे को मारने न दें. हालांकि मिशिगन सरकार की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. मिशिगन में मृत्युदंड नहीं है और वहां के अटॉर्नी जनरल कार्यालय ने अदालत में कहा कि वे फ्रेजियर को वापस लेने के इच्छुक नहीं हैं.
अलग-अलग हत्याओं का दोषी
रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रेजियर को 1991 में अलबामा और 1992 में मिशिगन में अलग-अलग हत्याओं का दोषी ठहराया गया था. 1992 में उन्होंने मिशिगन पुलिस के सामने ब्राउन की हत्या की बात कबूल की थी. उन्हें मिशिगन में 14 वर्षीय क्रिस्टल केंड्रिक की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जबकि 1996 में अलबामा की एक जूरी ने ब्राउन की हत्या के लिए मौत की सजा की सिफारिश की थी. हालांकि, इस फैसले में 10-2 का विभाजन था, जबकि अब लगभग सभी अमेरिकी राज्यों में मृत्युदंड के लिए सर्वसम्मति आवश्यक होती है.
अदालत ने याचिका खारिज कर दी
हालांकि वकीलों ने नई फांसी प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी, लेकिन अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी. रिपोर्ट्स के मुताबिक इससे पहले इस विधि से मारे गए कैदियों ने तड़पने के संकेत दिए थे. अदालत ने कहा कि यह प्रमाणित नहीं हुआ है कि इस विधि से मारे गए कैदियों को किसी असहनीय मानसिक या शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ा. अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि अलबामा की यह फांसी कैसे होगी. एजेंसी इनपुट फोटो एआई