Yashoda Jayanti 2025: माताओं के लिए यशोदा जयंती का पर्व बेहद खास होता है. इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और उनकी मंगल कामना के लिए व्रत करती हैं. यह त्योहार गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है.
Trending Photos
Yashoda Jayanti 2025: यशोदा जयंती का पर्व माताओं के लिए बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण है. यह हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, यशोदा जी का जन्म ब्रज क्षेत्र में सुमुख और पाटला नामक दंपति के घर हुआ था.
यशोदा जयंती 2025 शुभ मुहूर्त
यशोदा जयंती फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है
षष्ठी तिथि की शुरुआत- 18 फरवरी सुबह 4 बजकर 53 मिनट पर होगी.
षष्ठी तिथि का समापन- 19 फरवरी सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर होगी.
यशोदा जयंती 18 फरवरी को मनाई जाएगी और इस दिन व्रत भी रखा जाएगा.
यशोदा जयंती का महत्व
माताओं के लिए यशोदा जयंती का पर्व बेहद खास माना जाता है. यह पर्व माता और संतान के प्रेम को दर्शाता है. इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं. मान्यता है कि इस दिन माता यशोदा और भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करने और व्रत रखने से संतान प्राप्ति की कामना शीघ्र पूर्ण होती है.
यशोदा जयंती पूजा विधि
दिन की शुरुआत स्नान करके करें और पूरी स्वच्छता और भक्ति के साथ पूजा करें. माना जाता है कि ताजगी और पवित्रता के साथ पूजा करने से भगवान कृष्ण और उनकी मां यशोदा की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
भक्तों को यशोदा के जीवन और भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को याद रखना चाहिए. कृष्ण की माखन चोरी, गोवर्धन पर्वत उठाने और अन्य बचपन की घटनाओं जैसी कहानियों को पढ़ना या सुनना बहुत शुभ माना जाता है.
इस दिन भजन और कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं और यशोदा के मातृ प्रेम की महिमा पर ध्यान केंद्रित किया जाता है.
इस अनुष्ठान के तहत भक्त भगवान कृष्ण और यशोदा को मक्खन, गुड़ और ताजा मलाई चढ़ाते हैं. चूंकि कृष्ण को मक्खन और दूध से बनी मिठाइयां बहुत पसंद थीं. इसलिए इन प्रसादों का विशेष महत्व है.