सिर कलम करवा लिया लेकिन इस्लाम नहीं कुबूला, जानें कौन थे वो बाल वीर

वीर हकीकत

वीर हकीकत का जन्म 1719 में पंजाब के सियालकोट (अब पाकिस्तान में) के एक धन संपन्न व्यापारी परिवार में हुआ था.

पढ़ाई

वीर हकीकत के पिता भागमल चाहते थे कि वह अच्छे से पढ़-लिखकर एक बढ़िया सरकारी नौकरी करें.

सरकारी नौकरी

उन दिनों सरकारी नौकरी करने के लिए फारसी की पढ़ाई जरूरी थी, जिस कारण पिता ने उनका दाखिला मदरसे में कराया.

एक दिन हकीकत राय को उनके मुस्लिम साथी अनवर और रशीद ने उनसे कबड्डी खेलने के लिए चैलेंज किया.

बहुत जिद करने के बाद हकीकत ने मां भवानी की सौगंध खाते हुए हुआ कहा कि मेरा खेलने का बिल्कुल मन नहीं है.

अपमान

जिस पर मुस्लिम साथियों ने मां भवानी का अनादर करके अपमानजनक बातें कहीं, जिस पर हकीकत राय ने चुप होने के लिए कहा.

वे चुप नहीं हुए तो हकीकत राय ने कहा कि मैं यही बात तुम्हारी पूज्य फातिमा बीवी के लिए कहूं तो तुम्हें कैसा लगेगा?

इस पर उन्होंने कहा कि तब हम तुम्हारे शरीर के कई हिस्से कर देंगे और फिर हकीकत राय पर माफी मांगने का दबाव बनाया.

सिर कलम

उन्हें सियालकोट में मिर्जा बेग की अदालत में पेश किया जहां उन पर इस्लाम कुबूल करने के लिए दबाव किया गया और कुबूल ना करने पर सिर कलम करने का आदेश दिया.

वीर बहादुर हकीकत राय

वीर बहादुर हकीकत राय ने इस्लाम कुबूल करने से मना कर दिया और कहा, 'मैं अपना धर्म छोड़कर इस्लाम कभी नहीं कुबूल करूंगा.'

बसंत पंचमी

नवाब ने हकीकत राय को मौत की सजा सुनाई जिसके लिए हिंदुओं के पवित्र पर्व बसंत पंचमी का दिन चुना गया. 12 वर्ष के वीर हकीकत सिर कलम कर दिया गया.