लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यूं हैं, इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूं हैं
दोस्ती जब किसी से की जाए, दुश्मनों की भी राय ली जाए
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा
सिर्फ़ ख़ंजर ही नहीं आंखों में पानी चाहिए, ऐ ख़ुदा दुश्मन भी मुझ को ख़ानदानी चाहिए
आंख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो, ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे, जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे
तूफ़ानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो, मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे, मैं कितनी बार लुटा हूं, हिसाब तो दे
किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है, आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है