अपने सब यार काम कर रहे हैं, और हम हैं कि नाम कर रहे हैं
काम की बात मैंने की ही नहीं, ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे, जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
कौन से शौक़ किस हवस का नहीं, दिल मेरी जान तेरे बस का नहीं
नया इक रिश्ता पैदा क्यूं करें हम, बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूं करें हम
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में, जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं
उस गली ने ये सुन के सब्र किया, जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
अब तो उस के बारे में तुम जो चाहो वो कह डालो, वो अंगड़ाई मेरे कमरे तक तो बड़ी रूहानी थी
जो गुज़ारी न जा सकी हम से, हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
बहुत नज़दीक आती जा रही हो, बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या