जासूसी कहानियां देखना और सुनना किसे पसंद नहीं होता. खुफिया एजेंट्स पर कई फिल्में और वेब सीरीज भी बन चुकी हैं.
हालांकि, असल जिंदगी में इन खुफिया एजेंट्स की कहानी बिल्कुल अलग होती है, जिसे पंजाब के गुरदासपुर में स्थित एक गांव दादवान बयां करता है.
दादवान गांव के लोगों का दावा है कि आजादी के बाद से इस गांव से 35 से भी ज्यादा खुफिया एजेंट्स निकले हैं. हालांकि, ये बात साबित करने के लिए उनके पास सबूत नहीं है.
दूसरी ओर भारतीय सरकार ने आधिकारिक तौर पर कभी गांव के लोगों की इस बात को स्वीकार नहीं किया है.
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि गांव के लोग जासूसी के लिए नहीं, बल्कि तस्करी करने के लिए जाते थे. ये लोग सरहद पार शराब बेचते थे.
इसी दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें पकड़ा और जासूसी करने का आरोप लगा दिया. ऐसे में कई लोग लंबे वक्त तक पाकिस्तानी जेल में भी रहे.
इस गांव के रहने वाले सतपाल के बेटे सुरिंदर पाल सिंह दावा करते हैं कि उनके पिता ने 14 सालों तक देश की सेवा की थी.
दादवान गांव में हर दूसरे घर से इस तरह की कहानियां सुनने को मिल जाती हैं, लेकिन इसकी पुष्टि कोई नहीं कर पाता.x
गांव के कई लोग पाकिस्तान जेल में सजा काट चुके हैं, वहीं, खुफिया एजेंसियों ने इन्हें अपना एजेंट मानने से इनकार कर दिया.