गुलजार की वो बातें, जो जीवन में लौटा देंगी सुकून

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती है, कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता

पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो...कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी

मैंने मौत को देखा तो नहीं, पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी...कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं, जीना ही छोड़ देता हैं

टूट जाना चाहता हूं, बिखर जाना चाहता हूं, में फिर से निखर जाना चाहता हूं. मानता हूं मुश्किल हैं, लेकिन में गुलजार होना चाहता हूं

दर्द हल्का है सांस भारी है, जिए जाने की रस्म जारी है

वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी, हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे मांगते..वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी

आप के बाद हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है