अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रिय पंक्तियां, पढ़कर टूटी हुई हिम्मत भी फिर जग उठेगी

काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं

मेरे प्रभु! मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना, ग़ैरों को गले न लगा सकूं

दांव पर सब कुछ लगा है रुक नहीं सकते, टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते

बुझी हुई बाती सुलगाएं, आओ फिर से दिया जलाएं

लौट कभी आएगा, मन का जो मीत गया, एक बरस बीत गया

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये, आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए

आग लगाकर जलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है, नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है

पार पाने का क़ायम मगर हौसला, देख तेवर तूफां का, तेवरी तन गई, मौत से ठन गई!