राम नगरी अयोध्या राम मंदिर और मठों के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यहां तमाम प्राचीन अवशेष है जिनका बहुत धार्मिक महत्व है.
मणि पर्वत अयोध्या की प्राचीन धरोहरों में से एक है जिसका जिक्र धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. यह एक पहाड़ी पर बना छोटी-सा मंदिर है.
मणि पर्वत अयोध्या की प्राचीन धरोहरों में से एक है जिसका जिक्र धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. यह एक पहाड़ी पर बना छोटी-सा मंदिर है.
मान्यता है कि जब भगवान राम, सीता से विवाह कर, उन्हें अयोध्या लेकर आए थे तो राजा जनक ने महाराज दशरथ को उपहार स्वरूप मणियों की श्रृंखला भेंट की थी.
महाराज दशरद ने मणियों की श्रृंखला को विद्या कुंड के पास रख दिया. ये मणियां इतनी ज्यादा थी कि जहां इन्हें रखा गया वहां धीरे-धीरे मणियों का पहाड़ बन गया.
मणि पर्वत से जुड़ी एक और मान्यता है कि इसी जगह पर भगवान राम माता सीता के साथ सावन की तृतीया तिथि यानी हरियाली तीज पर झूले का आनंद लेते थे.
त्रेतायुग की यह परंपरा आज भी चली आ रही है हरियाली तीज पर अयोध्या के मठ मंदिरों के विग्रह रथों पर मणि पर्वत पर लाए जाते हैं. यह नजारा बेहद ही मोहक और भव्य होता है.
हर साल सावन में हरियाली तीज के अवसर पर लाखों भक्त अयोध्या आते हैं और मणिपर्वत पर विराजमान प्रभु राम और माता सीता के मंदिर के दर्शन करते हैं.
मान्यता है कि मणि पर्वत पर आज भी भगवान राम और माता सीता विराजमान हैं, जिनके दर्शन करने से मन मांगी मुराद पूरी होती है.
हर वर्ष यहां सावन में हरियाली तीज पर झूलन उत्सव का आयोजन होता है, जिसमें भगवान राम और माता सीता को झूला झुलाया जाता है.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.